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आत्मा के लिए अमृत का दूसरा प्याला

जैक कैनफ़ील्ड, मार्क विक्टर हैन्सन

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :290
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7150
आईएसबीएन :81-8322-057-6

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‘चिकन सूप फ़ॉर द सोल’ का हिन्दी रूपान्तरण...

Atma Ke Liye Amrit Ka Doosra Pyala - A Hindi Book - by Jack Canfield, Mark Victor Hanson

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘‘जैसा कार्ल रॉजर्स ने सिखाया है, ‘जो सबसे व्यक्तिगत होता है, वही सबसे आम होता है’ ये बेहतरीन कहानियाँ हममें से ज़्यादातर लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर सिखाती हैं। वे प्रेरणा और प्रोत्साहन देती हैं और मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा भी देती हैं। जिस तरह मुझे अच्छे कोटेशनों वाली पुस्तकें बहुत पसंद हैं, उसी तरह मुझे कहानियों की यह पुस्तक भी बहुत पसंद है।’’

डॉ. स्टीफ़न आर. कवी

‘‘साइड इफ़ैक्ट वाली हर दवा पर एक चेतावनी छपी होनी चाहिए और चिकन सूप की पुस्तकों के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए। इसे पढ़ने वालों को यह चेतावनी दी जानी चाहिए ....
‘‘चेतावनी–इस पुस्तक को पढ़ने से प्रेम, साहस और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी में स्थायी वृद्धि के साथ ही हँसी और आँसू संभावित हैं।’’

जिम न्यूमैन, सीपीएई

‘‘चिकन सूप का कोई जवाब नहीं है, कम से कम मेरी माँ तो हमेशा यही कहती थीं। अ सेकंड हेल्पिंग ऑफ़ चिकन सूप फ़ॉर द सोल इस तरह की दवा है, जो आसानी से गले उतर जाती है... और ऐसा गर्माहट भरा यादगार एहसास छोड़ जाती है, जो दिन भर क़ायम रहता है।’’

हार्वे मैके

‘‘इस पुस्तक में जैक कैनफ़ील्ड और मार्क विक्टर हैन्सन की कहानियों का ऐसा अनूठा संग्रह है, जिसमें बुद्धिमत्ता और अंतर्दृष्टि का अद्भुत मिश्रण है। इसमें थोड़ी सी मूर्खता और थोड़ी मुस्कानें भी हैं, लेकिन दयालुता थोड़ी ज़्यादा है, जो सबसे ज़्यादा उदास दिलों को भी राहत देती है। यह उन लोगों के पढ़ने के लिए आदर्श है, जो ख़ुश हों, कष्ट में हों, दुखी हों, बीमार हों या ‘कोर्ट टीवी’’ देखते हों। यह आत्मा को पोषण देती है और आपके लिए हर तरह से अच्छी है। दिन में दो बार इसकी खुराक़ लें और सुबह मुझे फ़ोन करें !’’

स्टीव एलन, जूनियर, एम.डी.

‘‘यह पुस्तक इतनी जायक़ेदार और मज़ेदार है कि यह आपको छोटी-छोटी बातों से ऊपर उठाकर प्रकाश, प्रेम... और उम्मीदों की दुनिया में ले जाती है।’’

सूज़न जेफ़र्स, पीएच.डी.

‘‘सेकंड हेल्पिंग के रूप में... मार्क विक्टर हैन्सन और जैक कैनफ़ील्ड ने हमारे सामने सोने की खान रख दी है। यह सचमुच बेशक़ीमती है। मैं इसे दस में दस नम्बर देता हूँ

पीटर विदमार

‘‘अद्भुत पुस्तक... जब भी मुझे प्रोत्साहन की ज़रुरत होती है, तो मैं ‘दूसरी खुराक़’ ले लेता हूँ। इससे मेरा दिल गर्मजोशी से भर जाता है और मेरा उत्साह बढ़ जाता है।’’

रॉबर्ट क्रीगल

‘‘जो लोग मार्क विक्टर हैन्सन और जैक कैनफ़ील्ड की पुस्तक चिकन सूप फ़ॉर द सोल पढ़ेंगे, उनका दिल भावुक हो जाएगा और उनकी आत्मा मुक्त विचरण करने लगेगी।’’

अल न्यूहार्थ

‘‘चिकन सूप फ़ॉर द सोल सशक्त कहानियों का अनमोल संग्रह है, जो आपको प्रेरित करेगा कि आप अपने जीवन को नए अंदाज़ में देखें। हर कहानी आपके दृष्टिकोण को व्यापक करती है और बताती है कि एक पूर्ण इंसान बनने का मतलब क्या होता है। यह हमें सिखाती है कि हम भी अपने जीवन में ज़्यादा प्रेम, साहस और करुणा कैसे हासिल कर सकते हैं।’

जॉन ग्रे

लेखक, मेन आर फ़्रॉम मार्स, विमेन आर फ्रॉम वीनस और व्हाट मदर कुडन्ट टेल यू एंड युअर फ़ादर डिडन्ट नो ‘‘जैक कैनफ़ील्ड और मार्क विक्टर हैन्सन वर्तमान युग के चुनिंदा अच्छे, उत्कृष्ट, उदार और प्रेममय व्यक्तियों में से दो हैं।’’

लैरी वाइल्ड

कहानियाँ हमारी सहायता करती हैं और हमें रास्ता दिखाती हैं। अगर कहानियाँ आपके पास आती हैं, तो उनकी परवाह करें। और जहाँ उनकी ज़रूरत हो, वहाँ उन्हें देना सीखें। कई बार इंसान को ज़िंदा रहने के लिए भोजन की नहीं, कहानी की ज़रूरत होती है। इसीलिए हम इन कहानियों को एक-दूसरे की स्मृति में डाल रहे हैं। इसी तरह से लोग अपने हितों को सहेजते हैं।

बैरी लोपेज़

हम इस पुस्तक को पहली पुस्तक के ८00 से अधिक उन पाठकों को प्रेम के साथ समर्पित करते हैं, जिन्होंने हमें अ सेकंड हेल्पिंग ऑफ़ चिकन सूप फ़ॉर द सोल में शामिल करने के लिए कहानियाँ, कविताएँ और कोटेशन भेजे। हालाँकि हम इतनी सारी सामग्री का प्रयोग नहीं कर सकते थे, लेकिन हम आपकी हार्दिक इच्छा को देखकर बहुत प्रभावित हुए, क्योंकि आप अपनी कहानियों से हमें और हमारे पाठकों को लाभ पहुँचाना चाहते थे। आपको ढेर सारा प्यार !

हम यह पुस्तक पैटी ऑबेरी को भी समर्पित करते हैं, जिन्होंने इसकी पांडुलिपि को बार-बार टाइप करने में सैकड़ों घंटे का समय लगाया। यह पुस्तक किम वील को भी समर्पित है, जिन्होंने इस पुस्तक को लिखते समय १,000 से अधिक कहानियाँ और कविताएँ पढ़ीं। यह पुस्तक नैन्सी मिशेल को भी समर्पित है, जिन्होंने आवश्यक अनुमति लेने के लिए सप्ताह दर सप्ताह लेखकों और प्रकाशकों से सम्पर्क किया। और यह पुस्तक एंगी हूवर को भी समर्पित है, जिन्होंने इस पुस्तक के प्रकाशन के हर पहलू में सहयोग दिया। यह पुस्तक आपके बिना अस्तित्व में ही नहीं आ सकती थी !

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